मेरी हद
कहाँ है वो सरहद जहाँ हो मेरी हद बता दो
जन्मों से है बस तुम्हारी तलाश मुस्करा दो
चांचल्य अनोखा तुम्हारा आज अब सजा दो
सुन्दर ह्रदय में आगंतुक को अब तो जगह दो
हर जनम में फिर मिलने का वादा अब दोहरा दो
भगवान् कर्मरत रहें इसलिए अब अलविदा कह दो
..may be continued, if Devil's Advocate so wishes..
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