मेला : क्या खोया, क्यूँ पाया
उस रात मेले में खो गए थे हम दोनों कुछ देर के लिए
जब मिले तो एहसास हुआ की इसी एहसास के लिए ।
उन लम्हों के बीच ही कोई आया और चला भी गया
मिलवाना चाहती थीं उससे और मै ही भटक था गया ।
कहने लगीं मौक़े पे ही कहीं क्यूँ यहाँ वहां चले जाते हो
कहा मैंने चला जाता हूँ तो ही तो मौक़े को पाते हो ।
हैरत नहीं हुयी उनको क्योंकी अब उनको भी तो पता है
इस तरह की बातें य़ेह बस यूंही तो करता ही रहता है ।
लौट के आते देखा था मैंने कैसे मेला उन्हे देख रहा था
य़ेह भी देखा कैसे उनका मन मेरा रास्ता देख रहा था ।
पुछा आपको पूरा मेला देख रहा था आप किसे देख रहे थे
बोलीं जो पास था वो दूर चला गया उसी को देख रहे थे ।
जिसे पूरा मेला देखे वोह फिर भी मेले को बिलकुल ना देखे
ऐसे अनोखे को मन किया सितारा बना आसमान में देखें ।
अगर लाखों सितारों के मेले में वोह अबकी फिर खो जाएगा
तोह भी सितारों का मेला ही उसे देखता हुआ नज़र आएगा ।
बोलीं सोचो मत की अब मैं खुद ही खो गयी किसी मेले में
तो क्या तुम्हारी तरह लौट के फिर आ पाऊंगी अकेले में ।
अगर मेरी तरह तुम भी मेले को ही भूल के खोजोगे दिल से
तो मैं क्या पूरी कायनात खुद ब खुद लौटेगी मिलने तुम से ।
अपने अपने खोये अपनों को खोजने ही तो निकले थे हम
खोने पाने का मतलब समझने लगे थे थोडा ज्यादा या कम ।
वोह मेरे खोयों को खोज रही थी और में उनके खोये को
मेरे खोये भी मिल गए और ढूंढ लाये उनके भी खोये को ।
मेरे खोयों ने और उनके खोये ने भी आखिर पूछ ही लिया
जब हम खोये थे तो कौन था जो आया और चला गया ।
पुछा हमने अपने अपनों को क्यूँ मौक़े पे चले जाते हो
बोले गए ताक़ी आप यह समझ किसी से ले पाते हो ।
कैसे बताएं सितारा बना भी आसमान पे बिठा दोगे कभी
तो भी लाखों तारों का मेला ही हमें देख रहा पाओगे सभी ।
हम तो सितारों के बीच भी अपनों की राह देखते नज़र आयेंगे
हर सितारे से ज्यादा जगमगाते हमारे अपने ही नज़र आयेंगे।
बस हमारे अपने अपने मेला साथ ही देखो तो अच्छा लगता है
बिछडना आसान और मिलने के लिए एक टूट्ता तारा लगता है।
बस अब न हम मे से कभी कोई खोएगा न कोई तारा टूटेगा
अब तो हम साथ ही मेला देखेंगे और मेला हमें साथ देखेगा ।
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